At home. Down with fever. Have nothing to do.Suddenly college memories creep in.The first day of college. Meeting new people. Trying to connect with them. Making friends. But the strongest memories that I will have would never exist without my best friends- Tuhina, Kannagi and Prerna. So here is a poem dedicated to them. Thanks for always being there for me. Love you guys.
याद है वह पहला दिन
हम मिले जिज्ञासु भरे आंखों से
एक दूजे का परिचय देते हुए ।
कैसे भूल सकती हूँ
वो दिन
दोस्ती के कटघरे पर खड़ा करके
मेल-जोल की कोशिश करते रहे ।
कैसे भूल पायेंगे
वो रात
घंटो भर लोगो की खिल्ली उड़ाई
भूख लगते ही दूसरो के दरवाजे खट खटाई ।
कभी न भूल पाएंगे
वो एहसास
जब एक, गालों को मोड़कर बोली-
'अरे मेरी मोटी। तुम बहुत बोलने लगी हो । '
यह तो भूलना मुश्किल है
वो अन्तिम दिन
दूसरी, दौड़कर आते, कसके गले लगकर बोली-
'चक्रो! मुझे छुट्टी मिल गई । '
वो दिन भी महत्त्वपूर्ण रहेंगे
जब परीक्षा के पहले
तीसरी के साथ सीड़ियों में बैठे
गानों पर सिर हिलाते थे ।
भूलें से भी न भूलेंगे
वो दिन
जब हम बहुत झगड़ा करते
और ठीक हो जाने पर रोते हुए गले लग जाते ।
कैसे भूलेंगे यह पल
कैसे लौटेंगे वो दिन
बस यही दुआ करते है मित्र
कि यह दोस्ती हमारी बरक़रार रहे ॥
Visiting Memory Lanes of History
13 years ago